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बुधवार, 3 जून 2015

माता की भेंट - 83



मेरी मात आओ तुम बिन , मेरा नही सहारा 
दर्शन दिखाओ मुझको , दिल ने तुझे पुकारा 

आके हाल मेरा देखो , दुनिया के दुःख है झेले 
तेरे बिना जहाँ में , रोते है हम अकेले 
म मुझे न तुम भुलाना , मुझे आसरा तुम्हारा 

क्यों बेटे पर तुम्हारी , नज़रे कर्म नही है 
सारी ये दुनिया माता , वैरी मेरी बनी है 
मेरी लाज को बचाओ , मै बच्चा हूँ तुम्हारा 

मेरे आंसुओ का तुम पर , कोई असर नही है 
कैसे सुनाऊँ तुमको , विपदा जो आ पड़ी है 
मंझधार में फंसा हूँ , सूझे नही किनारा 


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