यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 3 जून 2015

माता की भेंट - 90



तर्ज ---ये वादा करो 

जमाना दिए जा रहा गम पे गम 
सम्भालो ऐ माँ न निकल जाये दम 

सताया गया हूँ मै संसार से , उठा लो  मुझे माँ ज़रा प्यार से 
बड़ा होगा मुझपे तुम्हारा कर्म 

मेरी नाव है डूबती जा रही ,  किनारा कही भी नही पा रही 
खत्म होने को है मेरा ये जन्म 

मुसीबत में हूँ माँ मै लाचार हूँ , तुम्हारी दया का तलबगार हूँ 
उठा तो मुझे गोद में कम से कम 

मेरा दिल मैया आज घायल हुआ , नही रास आई कोई भी दवा 
लगाओ मेरे जख्मो पे तुम मरहम 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें