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सोमवार, 1 जून 2015

माता की भेंट - 58



मेरी नाव तुम्हारे हाथ में है ,  जगदम्बे पार लगा देना 
पापी मन के अंधियारे में , इक प्यार का दीप जला देना 

जीवन तो दिया कुछ करने को , पर भूल गया भव झंझट में 
मै एक अभागा राही हूँ ,  हे माँ मुझे राह दिखा देना 

तुम भक्तन की हितकारी हो ,  करती सबका  कल्याण तुम्ही 
मुझ दींन  की हालत देख ज़रा ,  मेरे बिगड़े काज बना देना 

अगर भूल जाऊँ मै  तुमको पर , मुझको भूल  न  जाना तुम 
आकर तुम किसी बहाने से , मेरी भूल याद दिला देना 

तुम जगतारण जगमाता हो , मै तेरा ही इक बालक हूँ 
इस दास के हृदय आँगन में , एक दया का दीप जला देना 


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