अखियाँ प्यासी दर्शन की , प्यास बुझाओ नैनन की
गुरूजी अब न देर करो ,सबके भंडारे आप भरो
लाज रखो निज शरणन की....प्यास ------------
माया जाल ने लूटा हमें त्रिकुटी का अमृत पिला दो हमें
नाव मेरी मँझधार पड़ी ----प्यास ----------------
अब तो भव से पार करो , इतना तो उपकार करो
विनती सुनलो दीनन की -----प्यास -----------=
दुखिया तुमसे आस करे ,तुमने लाखों तार दिए
बारी मेरी क्यों उलझन की--------प्यास ------------
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें