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सोमवार, 7 सितंबर 2020

चली आई हूँ जग सारा छोड़ के(ऊँची ऊँची दुनिया की दीवारें )

तेरा द्वारा सबसे न्यारा , हर दुखिया को मिले सहारा 

चली आई हूँ जग सारा छोड़ के 

गुरूजी अब तो हमे सम्भालो ,मेरी लाज को बचा लो

चली आई हूँ आस तेरी लेके 


तेरे ही नाम को जपते  जपते बरसों गम में बीत गए 

सुबह शाम कीर्तन को करते नैना मेरे भीग गए 

गुरूजी आओ---लाज बचाओ ---हमको न ठुकराना -----तेरा---


याद में अखियाँ हर दम बरसें गुरूजी अब न देर करो 

फैला दिया है हमने दामन ,गुरूजी अब तो झोली भरो 

गुरूजी आओ ---दर्श दिखाओ--छोड़ दो अब तरसाना ---तेरा -----

@मीना गुलियानी  

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