यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 7 सितंबर 2020

तेरे दर्शन की लग रही प्यास है (तर्ज - ज़रा सामने तो आओ छलिये )

ज़रा दर्श दिखाओ महाराज जी , तेरे दर्शन की लग रही प्यास है 

यूँ न मुखडा  आज हमसे छुपाओ ,दिल में रहते हो तेरी ही आस है 


कबसे प्यासे नैना ये तरसें ,याद में तेरी बरसते हैं 

गुरूजी आकर दर्शन दे दो हर पल आहें भरते हैं 

दिल में रहमो कर्म की आस है फिर क्यों मन मेरा उदास है 


तेरी ही याद में भटक रहे हम ,कब सुध लोगे तुम मेरी 

गुरूजी चिंता आकर मिटाओ नाथ मेरे मत करो देरी 

मेरा जीवन तुम्हारे हाथ है तू ही रहता दिल के पास है 

@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें