प्रभु जी के दरबार में है खुला सभी का खाता
जितना जिसके भाग्य में होता उतना ही वो पाता
क्या साधु क्या संत गृहस्थी क्या राज क्या रानी
प्रभु की पुस्तक में लिखी है सबकी कर्म कहानी
सबकी जमा खर्ची का वो ही सही हिसाब लगाता
बहुत बड़े क़ानून प्रभु के बड़ी बड़ी मर्यादा
किसी को कौड़ी कम न देता किसी को कौड़ी ज्यादा
इसलिए तो इस दुनिया में ये जगतसेठ कहलाता
करते है फैसला सभी का प्रभु आसन पर डटके
उसका फैसला कभी न बदले लाख कोई सिर पटके
समझदार तो चुप रह जाता मूर्ख शोर मचाता
नहीं चले प्रभु के घर रिश्वत नहीं चले चालाकी
प्रभु के घर देंन लेंन की रीत बड़ी है बाँकी
पुण्य का बेडा पार करें वो पाप की नाव डुबाता
भवसागर से पार लगावे नीली छतरी वाला
गुरुकृपा से खुल जाता घट का अंदर ताला
इस दुनिया में जो कोई आता आखिर वो हे जाता
@मीना गुलियानी
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