सत्ता तुम्हारी भगवन जग में समा रही है
तेरी दया सुगन्धि हर गुल से आ रही है
रवि चन्द्र और तारे तूने बनाए सारे
इन सबमे ज्योति तेरी इक जगमगा रही है
विस्तृत वसुंधरा पर सागर बहाए तूने
तह जिनकी मोतियों से अब चमचमा रही है
दिन रात प्रांत संध्या मध्यान्ह भी बनाया
हर ऋतु पलट पलट कर करतब दिखा रही है
सुंदर सुगन्धि वाले पुष्पों में रंग तेरा
ये ध्यान फूल पत्ती तेरा दिला रही है
हे ब्रहम विश्वकर्ता वर्णन हो तेरा कैसे
जल थल में तेरी महिमा हे ईश छा रही है
@मीना गुलियानी
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