खुद अपना अक्स हूँ या किसी की सदा हूँ मै
इस सारे शहर में यूं बिखरा हुआ सा हूँ मै
मै ढूँढ़ने चला हूँ खुद यूँ ही अपने आपको
मुझ पे तोहमत है कि बहुत खुद नुमा हूँ मै
मुझसे न पूछ नाम मेरा ऐ मेरी रूहे कायनात
मै और कुछ भी नहीं बस तेरा आईना हूँ मै
घंटियों को भी बजकर नींद जब है आ गई
मेरी खता है अब क्यों जगता रहा हूँ मै
लाऊँ कहाँ से ढूँढके अब उम्रे रफ्ता को मै
अब तू मुझको भूल जा बहुत बेपरवाह हूँ मै
@मीना गुलियानी
इस सारे शहर में यूं बिखरा हुआ सा हूँ मै
मै ढूँढ़ने चला हूँ खुद यूँ ही अपने आपको
मुझ पे तोहमत है कि बहुत खुद नुमा हूँ मै
मुझसे न पूछ नाम मेरा ऐ मेरी रूहे कायनात
मै और कुछ भी नहीं बस तेरा आईना हूँ मै
घंटियों को भी बजकर नींद जब है आ गई
मेरी खता है अब क्यों जगता रहा हूँ मै
लाऊँ कहाँ से ढूँढके अब उम्रे रफ्ता को मै
अब तू मुझको भूल जा बहुत बेपरवाह हूँ मै
@मीना गुलियानी
Speechless वाह्ह्ह् क्या बात है दाद कबूल करे हर शेर लाजवाब
जवाब देंहटाएंSpeechless वाह्ह्ह् क्या बात है दाद कबूल करे हर शेर लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है
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