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बुधवार, 8 जून 2016

बहुत बेपरवाह हूँ मै

खुद अपना अक्स हूँ या किसी की सदा हूँ मै
इस सारे शहर में यूं बिखरा हुआ सा  हूँ मै

मै ढूँढ़ने चला हूँ खुद यूँ ही अपने आपको
मुझ पे तोहमत है कि बहुत खुद नुमा हूँ मै

मुझसे न पूछ नाम मेरा ऐ मेरी रूहे कायनात
मै और कुछ भी नहीं बस तेरा आईना हूँ मै

घंटियों को भी बजकर नींद जब है आ गई
मेरी खता है अब क्यों जगता रहा हूँ मै

लाऊँ कहाँ से ढूँढके अब उम्रे रफ्ता को मै
अब तू मुझको भूल जा बहुत बेपरवाह हूँ मै
@मीना गुलियानी 

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