सत्य क्या है पता नहीं
अभी तक उसकी तलाश में हूँ मै
धैर्य क्या है फिर भी
उसके आस पास हूँ मै
आकाश के तारों में नहीं
चन्द्रमा के दाग में हूँ मै
धरा के किसी छोर में नहीं
न ही रवि के प्रकाश में हूँ मै
पूर्णिमा की रात में नहीं
अमावस की रात में हूँ मै
निर्जीव सन्नाटे में नहीं
न सजीव बात में हूँ मै
न ही राधा के रास में
न ही उमा के लास्य में हूँ मै
पर इस जगत में कहीं न कहीं
किसी के लिए बहुत ख़ास हूँ मै
@मीना गुलियानी
Bhavnatmak panktiyan... Dil me utarane ko hardam tayaar bas nazar se dekhane bhar ki der hai...
जवाब देंहटाएंSaadar.