यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 15 जून 2016

किसी के लिए ख़ास हूँ मै

सत्य क्या है पता नहीं 
अभी तक उसकी तलाश में हूँ मै 
धैर्य क्या है फिर भी 
उसके आस पास हूँ मै 
आकाश के तारों में नहीं 
चन्द्रमा के दाग में हूँ मै 
धरा के किसी छोर में नहीं 
न ही रवि के प्रकाश में हूँ मै 
पूर्णिमा की रात में नहीं 
अमावस की रात में हूँ मै 
निर्जीव सन्नाटे में नहीं 
न सजीव बात में हूँ मै 
न ही राधा  के रास में 
न ही उमा के लास्य में हूँ मै 
पर इस जगत में कहीं न कहीं 
किसी के लिए बहुत ख़ास हूँ मै 
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी: