भगवन मुझे बता दो भक्ति का भाव अब तो
चित्त से मेरे हटा दो विषयों का भाव अब तो
मुझको सता रहे है कामादि शत्रु भारी
अपनी दया से हर लो इनका प्रभाव अब तो
तृष्णा के सिंधु से जो तूफ़ान उठ रहे है
इनसे है डगमगाई मेरी ये नाव अब तो
आशा की तरंगों ने मुझको झकोर डाला
संतोषमय बना दो मेरा स्वभाव अब तो
अज्ञान अँधेरे में भटका बहुत समय तक
भगवन प्रकाश देकर, हरलो कुभाव अब तो
@मीना गुलियानी
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