यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 8 जून 2016

, झूठे पड़ गए तार


जीवन की वीणा बाजे ना, झूठे पड़ गए तार


बिगड़े ठाठ से काम बने क्या, मेघ बजे न मल्हार


पंचम छेड़ो मद्धम बाजे, खरज  बने  गन्धार


इन तारों को तुम खोलो , इन तरबो को फेंको


सही तार नई तरबो  से नया होवे  सिंगार


इसमें जो सुर अब बोलेंगे , तो गूंज उठे संसार
@मीना गुलियानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें