जीवन की वीणा बाजे ना, झूठे पड़ गए तार
बिगड़े ठाठ से काम बने क्या, मेघ बजे न मल्हार
पंचम छेड़ो मद्धम बाजे, खरज बने गन्धार
इन तारों को तुम खोलो , इन तरबो को फेंको
सही तार नई तरबो से नया होवे सिंगार
इसमें जो सुर अब बोलेंगे , तो गूंज उठे संसार
@मीना गुलियानी
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