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शनिवार, 11 जून 2016

भजनमाला ---37

कैसे बैठ्यो रे आलस में तोसे राम कह्यो न जाए 
राम कह्यो न जाए तोसे कृष्ण कह्यो न जाए 

भोर भयो मल मल मुख धोयो 
दिन चढ़ते ही उदर टटोयो 
बातन बातन सब दिन खोयो 
साँझ भई पलंगा पर सोयो 
सोवत सोवत उमर बीत गई 
तेरे काल शीश मंडराए 

लख चौरासी में भरमायो 
बड़े भाग नर  देह तू पायो 
अबकी चूक न जाना भाई 
लुटने पावे नहीं कमाई 
ऐ भाया समय फिर ऐसो 
बार बार नहीं आए 
@मीना गुलियानी 

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