यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 24 जून 2016

भजनमाला ---51

दयामय भूल जा अपराध मेरे तू दयालु है
क्षमा करदे क्षमा करदे क्षमा कर तू दयालु है 

पतित मैँ हूँ पतित तारण है तू निश्चय है ये मेरा 
मुझे पावन बनाकर तार दे शिव तू दयालु  है 

कई पतितों को तारा कष्ट अगणित के निवारे है
मुझे भी तार दे दुःख हार दे शिव तू दयालु है 

तेरा यश है मेरा उद्धार बनते काम दोनों के 
मै याचक हूँ दया का हे दयामय तू दयालु है 

मेरे कर्मो का क्षय करदे हृदय में शान्ति को भरदे 
अचल कर मन तो तू शंकर कृपाकर तू दयालु है 
@ मीना  गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें