हर हाल में दाता का हम शुक्र मनाते है
जिस रंग में तू रंगदे हम रंगते जाते है
तेरी मर्जी है दाता चाहे तो तख्त बिठा
तेरी मर्जी है दाता चाहे तो भीख मंगा
तेरी रज़ा में हम दाता ख़ुशी मनाते है
तेरी दासी हूँ दाता तू साथ निभा देना
अगर भूल चूक हो जाए तो माफ़ कर देना
तेरे दर पे हम दाता ये अलख जगाते है
तू बक्शनहार है मै गुनहगार दाता
तेरी कृपा से दाता सब कष्ट टल जाता
मुझे पार कर भव लाखों तर जाते है
दरबार से तेरे कोई खाली न जाता
रोता हुआ जो अाए हँसता हुआ है जाता
जिन्हें जग ने है ठुकराया अपनाए जाते है
तेरे भंडार में नहीं कोई कमी दाता
खाली झोली भी तुझसे भरवा के ले जाता
यहाँ जन्मों के दाता सब फन्द छुड़ाते है
@मीना गुलियानी
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