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गुरुवार, 9 जून 2016

वो गुज़रे पल

मै तुम्हें देखकर सोचता रहता हूँ
अनगिनत बातें लम्हें वो गुज़रे पल

याद करता हूँ उस गुमनाम जिंदगी को
जिसमें तुम्हारे गीत खामोशी में खो जाते है

यादें कभी सुर्ख गुलाब सी हुआ करती थी
चाँद बादलों की ओट से मुस्कुराया करता था

तन्हा रात में वो चांदनी के संग गुनगुनाता था
तुम और मै बेवजह उनको ताकते रहते थे

कुछ शब्द तुम्हारे कानों में होले से जो मैने कहे
बेफिक्र लम्हों में वो नज़्म बनकर ही रह गए

मै खो जाता हूँ उन अनूठी यादों के लम्हों में
पाँव धीरे धीरे जमीन पर थिरकने लगते है

मैने अंतिम सांस तक निभने वाले प्रेम को सुना है
घर देर लौटने पर तुम्हारी व्यग्र आँखो को देखा है

चाँदनी मुझे अपनी गोद में समेट लेती है
और मै खो जाता हूँ खुद को भुलाने के लिए
@मीना गुलियानी 

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