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शनिवार, 4 जून 2016

तुम्हारी याद आती है

कुछ इस तरह से तुम्हारी याद आती है
जैसे झील के उस पार नाव जाती है

लगता है तुम्हें बारिश से अभी डर लगता है
बारिश की बूँदों को गिरते देख सहम  जाती हो

मै तुम्हारा झील के उस पार इंतज़ार करता हूँ
तुम्हारी परछाईं मुझे छूकर चली जाती है

लगता है तुम सूरज के उजाले से भी घबराती हो
तभी तो उसके उगते ही अँधेरे में गम हो जाती हो

मै तुम्हे देखने को ,सुनने को तरसता रहता हूँ
तुम्हारी आवाज़ सपनों में आकर गुनगुनाती है
@मीना गुलियानी


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