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सोमवार, 20 जून 2016

तुझे महसूस किया है

कैसे कहूँ कि मैंने तुझे महसूस किया है

तुम छिपे हो इन हवाओं में
तुम छिपे हो इन लताओं में
इन फूलों की खुशबु में महसूस किया है

तुम्ही हो बादलों के गर्जन में
तुम्ही हो पायल की छमछम में
इन भँवरो की गुंजन में महसूस किया है

तुम ही सांझ और धूप  में
तुम ही रंग और रूप में
साँसों  के सरुर में महसूस किया है

तुम्ही छिपे हो गीत और संगीत में
तुम्ही छिपे हो सुर और प्रीत में
धड़कनो के गीत में महसूस किया है

तुम हो परिंदो की  परवाज़ में
तुम हो आस और विश्वास में
धरती आकाश में महसूस किया है
@मीना गुलियानी 



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