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शुक्रवार, 24 जून 2016

भजनमाला---52

कपट का क्रोध का भगवन कुटिलता का पुजारी हूँ        
विमुख हूँ भक्ति से तेरी महाविषयी विकारी हूँ

जो है निज स्वार्थ  के संगी उन्हें साथी समझता हूँ
नहीं सतसंग को खोजूँ मैँ मति मारा अनाड़ी हूँ

परम पावन तुम्हारे प्रेम को तजकर जगत रक्षक
मलिनता से भरे जग के विषय का मै शिकारी हूँ

कहूँ किससे सुनेगा कौन मेरी दुःख भरी गाथा
तेरी ही आस है भगवन तेरे दर का भिखारी हूँ
@मीना गुलियानी 

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