मालिक की बंदगी को हरगिज़ नहीं भुलाना
दुनिया सराए फानी इसमें न दिल लगाना
पाया नसीब से है अनमोल तन ये प्राणी
सुमिरन भजन तू करके जीवन सफल बनाना
दुनिया के धंधो को तू मत सच्चा जान प्यारे
बिन नाम के है निष्फल इसमें न दिल लगाना
ले मान गुरु का कहना इसमें तेरी भलाई
तू खोज अपने घट में मिले भक्ति का खज़ाना
मकसद नहीं है असली आने का इस जहाँ में
बिछुड़ी हुई रूहों को मालिक के संग मिलाना
@मीना गुलियानी
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