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मंगलवार, 21 जून 2016

भजनमाला ------48

प्रभु मेरे दोषन को मत हेरो,मेरो मन को घोर अंधेरो 

यद्पि अधम इंद्रिय के वश भोगत हूँ भव फेरो 
किन्तु आप ही प्रेरक सबके ज्यों चाहो त्यों प्रेरो 

मैँ हूँ दीं अधीन आपके तुम स्वामी मैँ चेरो 
करूँ याचना मैँ फिर किससे है उपहास घनेरो 

जाने अति दुःख पाये दयामय जहि भांति से टेरो 
सुनत बेर नहीं देर लगाई आय गयो अति नेरो 

तुम्हरो बिरद सुन्यो अति भारी है विश्वास घनेरो 
प्रभु जी टेर  सुनो निज जन की दयादृष्टि से हेरो 
@मीना गुलियानी 

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