मेरा उद्देश्य हो प्रभु आज्ञा को तेरी पालना
कर कर कमाई धर्म की चरणों में तेरे डालना
मानव के नाते हे प्रभु जाऊँ कहीं मैँ भूल भी
इतनी विनय है आपसे बनकर सखा सम्भालना
जितने भी यज्ञ कर्म हों सेवा व प्रेम से करूँ
आएँ अभद्र भाव जो उनको सदा ही टालना
रक्षा तो मेरी तू करें रक्षा में तेरी मैँ रहूँ
अपने ही साँचे में प्रभु जीवन को मेरे ढालना
मृत्यु का मुझको भय न हो मांगता हूँ वर यही
मेधा बुद्धि की ऐ प्रभु झोली में भिक्षा डालना
@मीना गुलियानी
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