बस ये दो मसले
जिंदगी भर हल न हुए
न नींद पूरी हुई
न ख्वाब मुकम्मल हुए
वक्त ने कहा कि काश
थोड़ा और सब्र होता
सब्र ने कहा कि काश
थोड़ा और वक्त होता
बचपन में पैसा ज़रूर कम था
पर उसमें बहुत दम था
अब पास में महंगा मोबाइल है
पर गायब वो बचपन की स्माइल है
ऐसी बेरुखी देखी है हमने
कि लोग आप से तुम तक
तुम से जान तक और
जान से अंजान बन जाते है
@मीना गुलियानी
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