आनन्द रूप भगवन किस भांति तुझको पाऊँ
तेरे समीप स्वामिन मैँ किस तरह से आऊं
सुख मूल मुक्ति रूपम मंगल कुशल स्वरूपम
कण्टक सखा है फुलवा क्या तेरे सिर चढाऊँ
श्री लक्ष्मी है तेरी निशदिन चरण की चेरी
ताम्बे का एक पैसा क्या नाथ पर चढाऊँ
गंगा है तेरी दासी सेवक है इंद्र तेरा
तेरे शरीर पर क्या दो चुल्लू जल चढाऊँ
छोटे से दास तेरे रवि चन्द्र है उपस्थित
करते है नित उजाला घृत दीप क्या जलाऊँ
विनती ये दास की है निशदिन यही दयामय
हृदय में लौ हो तेरी आँखों में मैँ समाऊँ
@मीना गुलियानी
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