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रविवार, 12 जून 2016

जिंदगी का विराम

तुम चुपचाप अपनी राह पर चलते रहो
कारवां खुद ब खुद बन जाएगा
तुम अपनी राह पर बढ़ते रहो
मंजिल का रास्ता भी मिल जाएगा
बहा दो संगीत में ऐसी फुहार हरसू छाये बहार
संगीत को रोक न पाये कोई दीवार
संगीत को पहुँचाए हम सरहद पार
संगीत न माने धर्म कर्म न जात पात
संगीत से जोड़ो सारी  कायनात
संगीत में बसे अल्लाह और राम
संगीत में बसे है मेरे प्राण
संगीत में ही हो जिंदगी का विराम
@मीना गुलियानी 

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