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सोमवार, 13 जून 2016

तुम्हारी याद

आज फिर से तुम्हारी  याद चुपके से चली आई है
मेरे मन की कली भी  होले  से फिर  मुस्कुराई है

तुमने न आने की कसम कभी खाई थी
तब तुमने दिल तोड़ने की रस्म निभाई थी
तुम्हारी याद ने फिर बगिया मेरी  महकाई है

दिल को सुकूँ मिलता है तुझे याद करके
उसे हौंसला मिलता है चाहत का रंग भरके
 जाने न हम क्या  होती ये रुसवाई है

तुम्हे कसम है मेरी दूर तुम जाया न करो
जाओ तो  जल्दी ही लौट आया करो
वरना तमन्ना मेरी बिन खिले मुरझाई है
@मीना गुलियानी 

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