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गुरुवार, 23 जून 2016

दिल की बगिया महकने लगी है

कहाँ से तुम चले आए ख्वाबों की दुनिया सजने लगी है
आने से तेरे बहार आ गई  दिल की बगिया महकने लगी है

संवरने लगे फूलों के गुंचे भी अब तो
हवा भी रुख अपना बदलने लगी है
खिली देखो सरसों जूही चमेली
कलियाँ भी अब तो खिलने लगी है

फूलों ने देखो बिछाई है चादर
उषा भी अपनी लाई है गागर
सूरज की लाली लगी है चमकने
गागर भी अब तो छलकने लगी है

हँसी शाम अब तो होने को आई
सितारों ने अपनी महफ़िल जमाई
चंदा गगन में लगा मुस्कुराने
शबनम भी देखो बहकने लगी है

रंगीन मौसम रुत भी जवां है
फूलों से महका गुलिस्ताँ है
मिले आज तुम अरमा जवां है
नशेमन की चिलमन दरकने लगी है
@मीना गुलियानी 

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