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रविवार, 26 जून 2016

दिल से हम भुला न सके

दिल से हम तुम्हें  भुला न सके

साथ आँखों ने हमारा तो दिया
आंसुओं ने सहारा हमें दिया
दाग-ऐ -दिल फिर भी मिटा न सके

चाँद में देखी है तेरी सूरत
रात बन गई एक मुसीबत
गम के बादल हटा न सके

आहों ने तो भी आग लगाई
आरजुओं ने बिजली गिराई
हम जले दीप बुझा न सके
@मीना गुलियानी 

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