यहाँ तुम क्यों चले आए
तुम्हारा यहाँ क्या काम है
ये तो सिर्फ एहसासों की बस्ती है
जो बरसों से वीरान गुमनाम है
कभी यहाँ भी फूल खिलते थे
दो प्रेमी छुपके मिलते थे
भँवरे गुनगुनाया करते थे
फूल मुस्कुराया करते थे
पवन के झोंके खुशबु लुटाया करते थे
फूलों का पराग किसी ने चुरा लिया
इनकी हँसी किसी ने छीन ली
ऐसा एक सैयाद आया जिसने
इनकी नूरानी छीन ली
अब न वो बोल है
न हँसी न मुस्कुराहट
बस अब है एक कसमसाहट
फुसफुसाहट ,सिहरन,छटपटाहट
@मीना गुलियानी
तुम्हारा यहाँ क्या काम है
ये तो सिर्फ एहसासों की बस्ती है
जो बरसों से वीरान गुमनाम है
कभी यहाँ भी फूल खिलते थे
दो प्रेमी छुपके मिलते थे
भँवरे गुनगुनाया करते थे
फूल मुस्कुराया करते थे
पवन के झोंके खुशबु लुटाया करते थे
फूलों का पराग किसी ने चुरा लिया
इनकी हँसी किसी ने छीन ली
ऐसा एक सैयाद आया जिसने
इनकी नूरानी छीन ली
अब न वो बोल है
न हँसी न मुस्कुराहट
बस अब है एक कसमसाहट
फुसफुसाहट ,सिहरन,छटपटाहट
@मीना गुलियानी
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