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शनिवार, 4 जून 2016

सदमे कभी कम न होंगे

मेरी यादों के सिलसिले कभी कम न होंगे
तुम्हें मेरी याद आएगी मगर हम न होंगे
गुलशन में बहारें आयेंगी मुस्कुराती रहेंगी
कोई गम न करना अगर हम न होंगे
फूल तो गुलशन में यूं ही खिलेंगे
बहारों के मौसम कभी कम न होंगे
जानता हूँ कि तुम भुला न पाओगी मुझे
कैसे कहदूँ कि मेरे न रहने से गम न होंगे
मेरी याद रह रहकर तड़पाएगी तुझको
जुदाई के सदमे कभी कम न होंगे
@मीना गुलियानी 

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