नाथ तोहे बाँह गहे की लाज
अपना जान उबारो भव से मेरा जीर्ण जहाज
अति मलीन मतिहीन दीन मैँ सजता खोटे साज
तदपि दया करी प्रभु तुमने दिखलाई भव पाज
मैँ कृतघ्न कपटी अति भारी दम्भिन को सिरताज
भूला तव उपकार परम पितु खाय बिगाड़ा नाज
यद्पि विषय भोग में फूला करता फिरा मिजाज
किन्तु याद आया जब तब तू हे स्वामिन सिरताज
अब तो कठिन बनी प्रभु मेरे बिगड़ चले सब काज
टेर सुनो अब तो दास की दूर करो भ्रम आज
@मीना गुलियानी
अपना जान उबारो भव से मेरा जीर्ण जहाज
अति मलीन मतिहीन दीन मैँ सजता खोटे साज
तदपि दया करी प्रभु तुमने दिखलाई भव पाज
मैँ कृतघ्न कपटी अति भारी दम्भिन को सिरताज
भूला तव उपकार परम पितु खाय बिगाड़ा नाज
यद्पि विषय भोग में फूला करता फिरा मिजाज
किन्तु याद आया जब तब तू हे स्वामिन सिरताज
अब तो कठिन बनी प्रभु मेरे बिगड़ चले सब काज
टेर सुनो अब तो दास की दूर करो भ्रम आज
@मीना गुलियानी
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