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मंगलवार, 7 जून 2016

दरिया मिल गया

अपनी मेहनत का मुझको समरा मिल गया
जिसमें खुद खोया हुआ था वो सहारा मिल गया

रहा बाकी बचा क्या जब चैन दिल को मिल गया
फूल हाथ आया तो मानो बाग़ सारा मिल गया

झड़ गए वो सूखे पत्ते पेड़ सब्ज़ बन गया
जितना उसका लुट गया उससे ज्यादा मिल गया

यास में उम्मीद झलकी मौज कश्ती बन गई
डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल गया

मेरी उम्मीद से बढ़के था करम तेरा हुआ
तलब इक बूँद की थी और दरिया मिल गया
@मीना गुलियानी 

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