छाड़ि चरण कहाँ जाऊँ
और को सुनि है पीर पराई ,काको विपद सुनाऊँ
सुर न्र कोउ परमार्थ नाहिंन , कहाँ कहाँ भरम गवाऊँ
क्षण क्षण तेरे ही नाम की मुक्ता , चुगि चुगि दिवस बिताऊँ
दास कहत तू मेरो कहावे , मै तेरो कहलाऊँ
@मीना गुलियानी
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