यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

मनमोहन का पग वन्दन


पहुँचे जमुना के तट पर 
उठ पड़ी लहर  मदमाती 
शशि मुख का अवलोकन कर 
थी अपने में न समाती 
 
                 जमुना संग लहरों के 
                 लेती थी मधुर बलैयां 
                 अनुराग भरी बलखाती 
                छूने को प्रभु की पइयां 

मनमोहन ने मुस्काकर 
निज चरण कमल लटकाया 
जग गए भाग जमुना के 
छूकर जीवन सुख पाया 

                  जमुना ने निज उर अंतर 
                  खोला पृथ्वी के पथ का 
                  युग ओर कोर थे जल के 
                   वसु बढ़े बीच ले नटवर 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें