सरिता ढूंढ रही हे छोर
कविता जाती शब्द की ओर
धरती घूमे सूरज के चँहुओर
मेरे प्यार को सूझे न ठोर
आहें मेरी बड़ी है पुरज़ोर
दिल बावरा घूमे इस ओर उस ओर
अंतर्मन में मच रहा है शोर
दिल की लहरों में उठी हिलोर
Good morning meena ji rchna achchi hei
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