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रविवार, 21 फ़रवरी 2016

प्यासे नयन



खोलकर हृदय की बन्द खिड़की 
झांक रहे किसके यह प्यासे नयन 

                   अन्तर का मूक प्यार 
                   मुखरित हो बार बार 

आज करने लगा मेरे भावों के 
झुरमुट में मधुमय गुन्जन 

                  परिचित सी तुम अंजान 
                   तुमने छू दिए प्राण 

जीवन का तिमिर चीर 
हँसा फूलों सा मन का गगन 

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