झांक रहे किसके यह प्यासे नयन
अन्तर का मूक प्यार
मुखरित हो बार बार
आज करने लगा मेरे भावों के
झुरमुट में मधुमय गुन्जन
परिचित सी तुम अंजान
तुमने छू दिए प्राण
जीवन का तिमिर चीर
हँसा फूलों सा मन का गगन
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