राही मै चलता रहूँगा
धूप हो या छाँव में
त्याग है धारा बनी
मेरे जीवन के पथ की
पथ में चाहे शूल हों
न ये रुक सकेगी
दीप बन जलता रहूँगा
आंधियों के गाँव में
विजय की बनके पताका
पथ पे मै बढ़ता रहूँगा
देशहित प्राणों को भी
अपने समर्पित मै करूँगा
ज्योत्स्ना फैलाऊंगा शिक्षा की
मै हर इक गाँव में
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