कौन जीवन की कहानी
किस वन वल्ल्ररी पर
थी खिली तुम रूप रानी
किस क्षितिज की अचल रेखा
कौन तुम उषा सुहानी
नयन नभ में चढ़ रही तुम
प्रेम की हो तुम निशानी
तप्त उर के गान गीले
राग लेकर क्या करूँ मै
आज तुमसे प्रीति का
प्रतिदान लेकर क्या करूँ मै
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