Meena's Diary
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रविवार, 14 फ़रवरी 2016
हाय रे हालात
उन्मुक्त वातावरण का छलावा
व्यर्थ का दिखावा
बातों का रुझान
आँखों में तूफ़ान
दिल है पशेमान
बोझिल है सांसे
रुकने को साँस
दर्द की दास्तां
डूबती है जां
स्याह है रात
कैसे ये जज़्बात
हाय रे हालात
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