ऐ मेरे हमराही मुझको बस यह विश्वास दिए जाओ
कभी लौट के फिर तुम आओगे ये इकरार किये जाओ
तुम बिन मन बहलेगा कैसे
जब तुम आँखों से ओझल हो
भावों के व्याकुल निर्झर में
अपनी रसधार दिए जाओ
तुम संबल और सहारा हो
मेरे इस एकाकी पथ में
इस पथ को कैसे काटूँगा
आशा संचार दिए जाओ
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