आज तेरी बेरुखी ने फिर मुझे रुला दिया
दिल इतना रोया कि सारा जहाँ हिला दिया
पहले इतने सितमगर तो ने थे तुम
किसने तुम्हें मोम से पत्थर बना दिया
मै तो वो दिया हूँ जिसकी लौ बुझने को है
क्यों तूने मुझे इस राह तक पहुंचा दिया
बेखबर अनजान थी मै तो इस अंजाम से
बेखुदी ने आज किस मोड़ पे पहुंचा दिया
तन्हाई क्या है चीज़ है न जाना था कभी
क्यों तुम्हारी याद ने ये मुझे बतला दिया
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