आरज़ू घुटी घुटी
इस जवान चाह की
यह घटा उठी उठी
लाल लाल होठ पर
गीत कुछ रुके रुके
सावनी बहार के
मेघ कुछ झुके झुके
मस्त ये बयार है
झूमती दिशा दिशा
इक उनींदे स्वप्न की
हँस रही मिलन निशा
अती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं