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शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

बेवफा सनम




किसे दिखाने जाएँ हम दिल के छाले
किस तरह के लोगों से पड़ गए पाले

                  जिन्हें पाके हम जहाँ को भूल बैठे थे
                  आज उन्हीं के दर से गए है निकाले

समझते थे सब गंवाना पड़ता है ख़ुशी में
थे हम कितने नादान खुद ही पर नोच डाले

                   समझे थे जिसे अपना उसी ने ठुकराया
                    पड़ गए है अब तो जुबां पर भी ताले 

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