किसे दिखाने जाएँ हम दिल के छाले
किस तरह के लोगों से पड़ गए पाले
जिन्हें पाके हम जहाँ को भूल बैठे थे
आज उन्हीं के दर से गए है निकाले
समझते थे सब गंवाना पड़ता है ख़ुशी में
थे हम कितने नादान खुद ही पर नोच डाले
समझे थे जिसे अपना उसी ने ठुकराया
पड़ गए है अब तो जुबां पर भी ताले
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