Meena's Diary
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बुधवार, 3 फ़रवरी 2016
नया तराना गुनगुनाएं
ख़िज़ाँ क्यों देखें जब बाहर फ़िज़ा है
बहार क्यों न देखें जिसका रंग जवां है
आओ सब जिंदगी के चुरा लाएं
चलो मिलकर नाचें और गाएँ
अँधेरे से निकलें उजाला ढूँढ लाएँ
कोई नई उम्मीद हम जगाएँ
बगिया को फूलों से महकाएं
क्यों न नया तराना गुनगुनाएं
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