घड़ी की सुइयाँ सहसा बज उठीं
उसमें अलार्म जो लगाया था
ये अलार्म भी क्यों बजता है
ये वक्त भी बड़ा बेमुरव्वत है
चैन से सोने भी नहीँ देता
सुइयाँ बढ़ती जाती है
दिल की बेताबी बढ़ाती है
कभी घड़ी तकिए नीचे दबाती हूँ
पर कमबख्त चैन नहीँ लेने देती
फिर से अलार्म बजाती है
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