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बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

उदास न हो


तू इस कदर उदास होकर 
हमको भी उदास न कर 

                  एक आंसू भी न बहने देना 
                  जुबां को कुछ भी न कहने देना 

अभी बचा जिंदगी के दामन का छोर 
सौंप दे तू  उसके हाथ में अपनी डोर 

                उठो यह समय निकल न जाए 
                करो सभी के लिए जो भी बन पाये 

जैसे पहले भी किया सभी के लिए 
जिंदगी को जिया सभी के लिए 

                जिंदगी की राह में पतझड़ भी आती है 
                 बहार  आते आते कभी रुक जाती है 

उसके आगे किसी की नहीं चलती 
जिंदगी आगे ही आगे निकल जाती है 

                 यह मत सोचो कि स्वप्न टूट गए 
                 वो तो बस मोती थे बिखर गए 

क्या हुआ जो ठुकराया सभी ने 
एक वो है सबका सम्भाला उसी ने 

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