कैसे न नज़र उठती मेरी
इस मंज़र में गज़री उम्र मेरी
जाने कब इनायत हो तेरी
परवाह नहीं जलने की मुझे
जले गर आशियाँ जो मेरा
कौंधे हज़ार बिजलियाँ तो क्या
करें इज़हार बेबसी का क्या ?
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