हाय ये अकेलापन जिसकी सीमा नही कोई
सभी अपने है मगर अपना नही कोई
क्या यही था अपनापन कोई चीज़ कहीं खोई
मिलेगी नहीँ मुझको किस्मत भी थी सोई
जीवन इक खेल है नाचता है हर कोई
आखिरी साँस तक साथ न चलता कोई
तन्हाई की महफ़िल है ख़ामोशी की पायल है
बजते है घुँघरू आवाज़ न सुनता कोई
आज तन्हा हूँ सभी मेरे पास है
तन्हाई की नागिन आसपास है
जाने कब ये नागिन डसेगी मुझे
जिसका ज़हर पीने की प्यास है
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