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शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

तुझे दूर जाना ही होगा



मुसाफिर तुझे दूर जाना ही होगा
सोया मुक़ददर जगाना ही होगा

               हस्ती को अपनी मिटा मुस्कुरा दे
               तू हर फांसला दरम्यां से मिटा दे
                जहर पीके भी मुस्कुराना ही होगा

तू ये सोच कि तेरी मंजिल कहाँ है
सितारों से उस पार तेरा जहाँ है
तुझे आसमां को झुकाना ही होगा

              दिखा अपनी हिम्मत बसा ले ये बस्ती
              देखे ये ज़माना मिटा अपनी हस्ती
              जलवा अपना तुझको दिखाना ही होगा


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