मुसाफिर तुझे दूर जाना ही होगा
सोया मुक़ददर जगाना ही होगा
हस्ती को अपनी मिटा मुस्कुरा दे
तू हर फांसला दरम्यां से मिटा दे
जहर पीके भी मुस्कुराना ही होगा
तू ये सोच कि तेरी मंजिल कहाँ है
सितारों से उस पार तेरा जहाँ है
तुझे आसमां को झुकाना ही होगा
दिखा अपनी हिम्मत बसा ले ये बस्ती
देखे ये ज़माना मिटा अपनी हस्ती
जलवा अपना तुझको दिखाना ही होगा
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