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शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

अन्जाम -ऐ -चाहत



जाने वाले कुछ देर रुको 
अंजाम जिंदगी बाकी है 
जी भरके तुझको देख तो लूँ 
इक रात क़ज़ा की बाकी है 

                    इस बुझते जीवन को क्षण भर 
                    तुम रुको क्षणिक संबल तो दो 
                    देकर तुम अपनी निज पद रज 
                     कुछ बात हृदय की बाकी है 

उखड़ी उखड़ी सी सांसे है 
दिल के अरमान तड़पते है 
अन्जाम -ऐ -हसरत सामने है 
अन्जाम -ऐ -चाहत बाकी है 

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